यथार्थ की खुरदरी सतह पर भविष्य के स्वप्न की गुंजाइश रखना........................ये पुरखों की सीख है
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यथार्थ की खुरदरी सतह पर भविष्य के स्वप्न की गुंजाइश रखना जो रह गये पीछे बढ़ा देना उनके लिए हाथ “सीख”
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बड़े पुलों में शीत तापक, अथवा भार घटने वढ़ने के कारण केबल के घटने बढ़ने की गुंजाइश रखना भी अनिवार्य होता है।
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बड़े पुलों में शीत तापक, अथवा भार घटने वढ़ने के कारण केबल के घटने बढ़ने की गुंजाइश रखना भी अनिवार्य होता है।
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हैरानी की बात तो है लेकिन अब यही देखा और पढ़ा है तो इस पर शक की गुंजाइश रखना लगभग नामुमकिन ही है.
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यह न भूलना कि लौटाना है तुम्हें हवा, जल,मिट्टी,आकाश और बार-बार लौटना भी है तुम्हें पृ्थ्वी पर अपनी ही संततियों की आखों में यथार्थ की खुरदरी सतह पर भविष्य के स्वप्न की गुंजाइश रखना....
8.
' सीख ' कविता यही तो करती है: ' यथार्थ की खुरदरी सतह पर / भविष् य के लिए गुंजाइश रखना / जो रह गए पीछे बढ़ा देना उनके लिए हाथ / ये पुरखों की सीख है / इसे मैं दुहरा भर रहा हूँ कि भुला न दिया जाए कहीं. '